Special Lecture Series at Sona Devi University

On September 2, 2024, Sona Devi University, Ghatsila, East Singhbhum, hosted the “Second Lecture Series by Distinguished Personalities.” The esteemed speaker for today’s series was His Grace Naam Prem Prabhu, a renowned spiritual leader and inspirational guide for the youth, and President of ISKCON, Dhanbad. The theme of today’s lecture was “Guidelines for Youth in Life Building and Character Formation and Suggestions for Their Role in Nation Building.”

The event witnessed the presence of Sona Devi University’s Chancellor Shri Prabhakar Singh, Vice-Chancellor Prof. J.P. Mishra, Registrar Prof. (Dr.) Gulab Singh ‘Azad’, Controller of Examinations Shri Mithilesh Singh, various school/departments’ principals, professors, assistant professors, and a large number of students. Prof. (Dr.) Gulab Singh ‘Azad’, the Registrar of Sona Devi University, welcomed His Grace Naam Prem Prabhu with a shawl and a bouquet of flowers. Dr. Neet Nayana, a professor in the Biotechnology Department, gave a brief introduction of His Grace Naam Prem Prabhu.

In his very inspirational and enlightening speech, His Grace Naam Prem Prabhu provided significant and practical guidelines for life building and character formation to the students and faculty members of Sona Devi University. These guidelines were drawn from the great texts of Indian culture, such as the Srimad Bhagavad Gita, Mahabharata, and Upanishad. His Grace emphasized the importance of controlling the mind for progress and advancement. He stated that the mind plays a significant role in a person’s life, and to achieve holistic development, one must control the mind. For this, one must strengthen their intellect, enabling them to make decisions with insight, determination, and discernment. These elements of intellect guide individuals on the right path during moral dilemmas.

He urged the youth to study good literature, draw inspiration from the lives of great personalities, engage in the company of good people, and practice self-control over their senses for their life building and character formation. He requested the youth to focus on their studies during these four or five crucial years and strive to inculcate good habits and noble human qualities into their personalities.

At the end of the program, the Registrar of the University, Prof. Dr. Gulab Singh ‘Azad’, wholeheartedly praised the inspiring and life-enriching speech delivered by His Grace Naam Prem Prabhu. He urged the students to apply the guidelines and practical and spiritual experiences shared by His Grace Naam Prem Prabhu in every phase of their lives, striving to become exemplary citizens and continuously contributing to nation-building.

सोना देवी विश्वविद्यालय, घाटशिला, पूर्वी सिंहभूम के प्रांगण में आज दिनांक 2 सितम्बर, 2024 को “विशिष्ठ व्यक्तित्व के व्यक्तियों द्वारा द्वितीय व्याख्यान श्रृंखला” का आयोजन किया गया। आज की व्याख्यान श्रृंखला के वक्ता आध्यात्म जगत के विख्यात एवं लब्ध प्रतिष्ठित प्रेरक तथा युवा मार्गदर्शक हिज ग्रेस नाम प्रेम प्रभु, अध्यक्ष, इस्कॉन, धनबाद थे। आज के व्याख्यान का थीम ” युवाओं के जीवन निर्माण एवं चरित्र गठन के लिए कुछ दिशा निर्देश एवं राष्ट्र निर्माण हेतु युवाओं की भूमिका हेतु कुछ सुझाव ” था । आज की व्याख्यानमाला में सोना देवी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री प्रभाकर सिंह, कुलपति प्रो. जे. पी. मिश्रा , कुलसचिव प्रो.(डॉ.) गुलाब सिंह ‘आज़ाद’ , परीक्षा नियंत्रक श्री मिथिलेश सिंह , विभिन्न स्कूलों/ विभागों के प्राचार्यगण , प्राध्यापकगण एवं सहायक अध्यापक तथा बहुत बड़ी संख्या में छात्र – छात्राएं उपस्थित रहे। सोना देवी विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो.(डॉ.) गुलाब सिंह ‘आज़ाद’ ने हिज ग्रेस प्रेम प्रभु जी का शॉल एवं पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। बायोटेक्नोलॉजी विभाग की प्राध्यापक डॉ. नित नयना ने हिज ग्रेस नाम प्रेम प्रभु का संक्षिप्त परिचय दिया। माननीय प्रेम प्रभु जी ने अपने बहुत ही प्रेरणादायक एवं ज्ञानवर्धक भाषण में सोना देवी विश्वविद्यालय के छात्र – छात्राओं तथा संकाय सदस्यों को जीवन निर्माण एवं चरित्र गठन के बहुत ही महत्वपूर्ण एवं उपयोगी दिशा- निर्देश दिए जो भारतीय संस्कृति के महान ग्रन्थों- श्रीमद भगवदगीता, महाभारत, केनोपनिषद आदि को उद्धरित करते हुए दिए। प्रेम प्रभु जी ने कहा की विकास एवं उन्नति हेतु अपने मन को नियंत्रण करना बहुत जरुरी है। उन्होंने कहा की व्यक्ति के जीवन में मन की बहुत बड़ी भूमिका है एवं व्यक्ति के सर्वांगीण विकास हेतु उसे अपने मन पर नियंत्रण करना अनिवार्य है और इसके लिए उसे अपनी बुध्दि को मजबूत बनाना होगा जिससे की वह सूझ – बूझ , दृणनिश्चय तथा विभेदीकरण के साथ निर्णय ले सके। व्यक्ति के धर्म संकट में बुध्दि के यही दोनों तत्व उसे सही मार्ग दिखाते है। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपने जीवन निर्माण एवं चरित्र गठन के लिए अच्छे साहित्य का अध्ययन करना, महान पुरूषों के जीवन चरित्रों से प्रेरणा लेना, अच्छे लोगों के साथ सत्संग करना तथा अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखने का अभ्यास करना जरुरी है। उन्होंने युवाओं से निवेदन किया की इन्ही चार-पॉँच साल आप अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करते हुए अच्छी आदतों एवं श्रेष्ट मानवीय गुणों को अपने व्यक्तित्व में आत्मसात करने की कोशिश करें । कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. डॉ. गुलाब सिंह ‘आज़ाद’ ने हिज ग्रेस प्रेम प्रभु जी द्वारा दिए गए प्रेरणास्प्रद एवं जीवन उपयोगी भाषण की ह्रदय से भूरि – भूरि प्रशंसा की तथा उन्होंने विद्यार्थियों से निवेदन किया कि वे हिज ग्रेस प्रेम प्रभु जी द्वारा युवाओं के जीवन निर्माण एवं चरित्र गठन के लिए बताए गए दिशा-निर्देशों का तथा उनके व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक अनुभवों का जीवन के हर मुकाम पर उपयोग करते हुए स्वयं को एक श्रेष्ठ नागरिक बनाकर राष्ट्र निर्माण हेतु अनवरत योगदान करते रहेंगे

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